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लेखनी कहानी -10-Apr-2023 क्या यही प्यार है

भाग 1 


आनंद रोज की तरह "मस्ती वाइन बार" में पहुंचा और रोज की तरह बार बाला से एक सॉफ्ट ड्रिंक मांगा । काउन्टर पर बैठी बाला मिस लिली ने कहा 
"सर, आप रोज ही यहां आते हैं और रोज ही सॉफ्ट ड्रिंक मांगते हैं । सॉरी सर, मैं आपको बताना चाहूंगी सर कि यह एक वाइन बार है । यहां सॉफ्ट ड्रिंक नहीं मिलती है । मुझे क्षमा करें सर , कोई वाइन लेनी हो तो बताऐं" । मिस लिली ने अपने चेहरे पर एक भरपूर मुस्कान बिखेरते हुए कहा । उसे आनंद से कुछ सुहानुभूति सी हो गई थी । "पता नहीं यह बंदा कौन से गम में डूबा हुआ है पर इतना संस्कारी है कि वाइन के बजाय कोल्ड ड्रिंक मांगता है । देखने से तो यह कोई मूर्ख व्यक्ति नहीं जान पड़ता है , फिर क्या वजह है कि ये यहां पर आता है" ? उसके मन में आनंद के लिए आत्मीयता उमड़ आई थी । 

"ठीक है, अगर सॉफ्ट ड्रिंक नहीं है तो कोई बात नहीं । मैं और कहीं से पी लूंगा" । कहकर आनंद जाने के लिए मुड़ा । 
"ठहरिये सर, मैं आपके लिए कुछ व्यवस्था करती हूं" मिस लिली ने कहा 
मिस लिली के शब्दों ने जादू जैसा काम किया । आनंद ने पलटकर लिली को देखा । लिली के चेहरे पर वही मासूम सी मुस्कान विराजमान थी । उसके चेहरे से बिल्कुल नहीं लग रहा था कि लिली उसके साथ कोई मजाक कर रही है । आनंद ने प्रश्न वाचक निगाहों से लिली को देखा 
"आप केबिन में बैठिये सर, मैं आपके लिए सॉफ्ट ड्रिंक की अभी व्यवस्था करवाती हूं" । फिर उसने एक अटेन्डेंट से कहा "अरे छोटू, सर को एक वी आई पी केबिन में बैठा कर मेरे पास फटाफट आ" । और लिली अपने दूसरे ग्राहकों में व्यस्त हो गई  । छोटू आनंद को अपने साथ लिवा ले गया और उसे एक शानदार केबिन में बैठाकर लौट गया । 

आनंद मिस लिली के व्यवहार पर आश्चर्य चकित था । कितनी आत्मीयता थी उसके व्यवहार में । कितना अपनापन सा महसूस हो रहा था उसे यहां इस केबिन में । आज पहली बार उसके मस्तिष्क में लिली का चेहरा कौंध रहा था । शक्ल सूरत से बहुत अच्छी थी लिली और उसका व्यवहार तो अवर्णनीय ही था । शायद ग्राहकों के साथ ऐसे ही पेश आने की उसकी पेशेगत मजबूरी होती होगी ? पर जो भी हो, उसने आनंद का दिल जीत लिया था । 

थोड़ी देर में लिली स्वयं अपने हाथों में एक ट्रे लेकर उस केबिन में आ गई और बैठते हुए बोली "सर, आज आपके लिए यहां के नियमों को तोड़कर मैंने सॉफ्ट ड्रिंक मंगवाई है । लीजिए सर, एन्जॉय कीजिए" । लिली के लबों पर और भी मधुर मुस्कान तैर रही थी और आवाज में और भी अधिक मिठास घुल गई थी । 
"क्या आप मेरा साथ देंगी मिस .."  । आनंद ने कहा 
"लिली । मेरा नाम यहां पर लिली है । मुझे यहां इसी नाम से बुलाते हैं सभी लोग" ? 
"मिस लिली , आपका असल नाम क्या है फिर" ? 
"क्या करेंगे आप मेरा असली नाम जानकर ? अब तो मैं खुद ही भूल गई हूं अपने असली नाम को" । एक फीकी सी हंसी हंसते हुए लिली बोली । 
"अगर आपको ऐतराज ना हो तो प्लीज, अपना सही नाम बताइये ना । और हां, क्या आप मेरा साथ देंगी मिस लिली" ? 
लिली कुछ सोचते हुए बोली "सर, मेरा असली नाम अनुसूइया है । इस बार के मालिक ने इस नाम को वाहियात नाम बतला कर मेरा नाम लिली रख दिया । मजबूरी आदमी से अपना नाम भी छीन लेती है सर" । लिली का दर्द आंखों से बहने लगा । 
"तो अनुसूइया जी, क्या आप बतायेंगी कि आप जैसी संस्कारी महिला को ये वाइन बार में नौकरी क्यों करनी पड़ी" ? आनंद ने लिली की ओर देखकर आत्मीयता दर्शाते हुए कहा । 
"जाने दीजिए सर, प्याज के छिलके उधेड़ने से आंसुओं के सिवाय और कुछ हासिल नहीं होता है । मैं तो यहां आपका दर्द साझा करने आई थी न कि अपनी कहानी सुनाने । प्लीज बताइए न सर कि आप यहां रोज क्यों सॉफ्ट ड्रिंक के बहाने से आते हैं , जबकि आपको पता है कि यहां सॉफ्ट ड्रिंक नहीं मिलती है" ।

थोड़ी देर वहां खामोशी छाई रही । अब लिली ने अपने दोनों हाथ आनंद के हाथों पर रख दिये । वह उन्हें धीरे धीरे सहलाने लगी । आनंद के हाथ कांपने लगे । लिली ने एक हाथ से आनंद का चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आंखों में झांकते हुए कहा "सर, मुझे लगभग तीन साल हो गए हैं इस बार में काम करते करते । मैं पहले ग्रहकों को वाइन सप्लाई करती थी । पिछले छ: महीनों से मुझे काउन्टर पर बैठाया है मालिक ने । मैंने यहां पर आने वाले लोगों की आंखों में "भूख" देखी है भूख । गर्म गर्म जिस्म की भूख । लोगों को देखकर मुझे उबकाई आती है लेकिन मेरी मजबूरी देखिए सर कि मुझे उनसे मुस्कुरा कर बातें करनी पड़ती हैं । आप पहले व्यक्ति हैं जिनकी नजरों में मैंने जिस्मानी भूख नहीं देखी । इसलिए मैं आपसे बहुत प्रभावित हूं सर । ऐसा क्या है जो आपको अंदर ही अंदर खाए जा रहा है ? उसे बाहर निकाल दीजिए सर, उस दर्द को अंदर ही अंदर रखने से वह सड़ जाएगा सर । आज मैं इसीलिए आपके सामने उपस्थित हुई हूं । मुझे बताइये कि आपको क्या गम है और उसका इलाज क्या है ? मैं सब कुछ आपके मुंह से सुनना चाहती हूं" । 
लिली की बातों ने आनंद के मोम रूपी मन पर माचिस की तीली की तरह असर किया । आनंद पिघलने लगा । लेकिन एकदम से कैसे एक अनजान व्यक्ति से वह सारी बात कह सकता था ? इसलिए कहते कहते रुक गया । 

थोड़ी देर फिर से खामोशी छाई रही । लिली आनंद के थोड़ा और करीब आ गई और उसके साथ सटकर बैठ गई । बदन की भी अपनी एक भाषा होती है । जब पुरुष और स्त्री के शरीर एक दूसरे को स्पर्श करते हैं तब उन दोनों शरीरों में आपस में बातें होने लगती हैं । उसका असर आंखों में दिखाई देने लगता है । लिली का बदन आनंद के बदन से छू कर रोमांचित होने लगा । आनंद के शरीर में भी हलचल सी होने लगी और उसकी आंखों से टप टप आंसू गिरने लगे । 

"रो लीजिए सर, जी भरकर रो लीजिए । इससे आपका दर्द कुछ तो कम होगा" । लिली ने दोनों हाथों से आनंद का चेहरा अपने कंधे पर टिका दिया और उसके बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगी । दूसरे हाथ से उसके हाथ को सहलाने लगी । 

स्त्रियों में कितनी ताकत होती है जो वे मर्दों के मन को पल भर में मोम बना देती हैं । आनंद न जाने कब से अंदर ही अंदर घुट रहा था मगर लिली के सान्निध्य ने उसे पिघला दिया । वह लिली के कांधे पर सिर टिका कर बहुत देर तक रोता रहा । जब उसके मन का सारा गुबार बाहर निकल गया तो उसका चेहरा गंगा की तरह निर्मल हो गया । धीरे से अपना सिर ऊपर उठाते हुए आनंद ने कहा "लिली, तुम नारी जाति की कुल भूषण हो । इस दलदल में कमल की तरह खिल रही हो । मैं तुम्हें शत शत नमन करता हूं । मेरा प्रणाम स्वीकार करो मिस लिली" । कहते कहते आनंद लिली के सम्मान में झुक गया । 

"अरे अरे, ये क्या कर रहे हैं सर ? आपने तो मुझे वो सम्मान दिया है जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती हूं । यहां जो आते हैं वे इंसान नहीं वहशी होते हैं सर । धन दौलत , शराब और शबाब ही उनकी दुनिया है सर । मगर आप जैसा व्यक्ति मैंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखा है । आप मुझे बताइये न कि आप कौन हैं और यहां क्यों आते हैं" ? 

लिली की स्नेहिल बातों ने आनंद के पत्थर दिल में जगह बना ली और वह अपनी कहानी सुनाने को तैयार हो गया । मगर कहानी सुनाने से पहले उसने लिली के सम्मुख एक शर्त रख दी 
"शर्त  ! कैसी शर्त सर" ? लिली आश्चर्य से बोल पड़ी । 
"यही कि तुम्हें भी अपना अतीत बताना पड़ेगा । है मंजूर तो बोला हां" । आनंद के चेहरे पर मुस्कान आ गई । 

आनंद के चेहरे पर मुस्कान देखकर अनुसूइया बहुत प्रसन्न हुई । उसने आनंद की शर्त मंजूर कर ली । आनंद अपनी कहानी सुनाने को तैयार हो गया । 

शेष अगले अंक में 

श्री हरि 
10.4.23 


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4 Comments

अदिति झा

16-Apr-2023 08:49 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

18-Apr-2023 03:12 PM

🙏🙏

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बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

18-Apr-2023 03:12 PM

🙏🙏

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